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कख हुली बैठी




कख हुली बैठी

कख हुली बैठी
कैमा कैमा गीजी हुली जी
वा रस्याण मेर कबिता जानि
कैन रची हुली जी
बांद मेरा पहाड़ की हे बांद मेरा पहाड़ की

सुबेरा कू तजि राम
ब्योखोंन को सैलु घाम
बगदि न्यार सी जनि वा
लग्दी वो हुयं हिंवाळ सी
बांद मेरा पहाड़ की हे बांद मेरा पहाड़ की

बौरांसी फ्योंली
बथे दे कैकि बनेली तू ब्योलि
कौथिगगैर रे दगड्या
भेंट कैरेदे ऐ स्वाणी मुखडी
बांद मेरा पहाड़ की हे बांद मेरा पहाड़ की

सुप्नीयुं आंदी
अपरी दगडी मि ले जांदी
भंडी छ्वीं लगान्दी
ये छ्वीं किले अपुरी रै जांदी बोल दे
बांद मेरा पहाड़ की हे बांद मेरा पहाड़ की

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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