पढ़े लिखे कया पाई तिल
पढ़े लिखे कया पाई तिल
बल जब अनपढ़ ही राई दिल
मेर जिंदगी कू फाड़ी बिल
दोई घास कू गफा तू गैई गिल
झिलमिल -२ व्हाई झिल
लात खुटे खैई क़मरी हैगे भिर
तेर पढ़े नि मेर घर लड़ै लगे
स्कुल गुरूजी घोर बोई बाबो नि छलै
सच बोल दे ये पहाड़ ल कया पाई बल
तू बिदेश मा मि यख पड़यूँ ठर
पढ़े लिखे कया पाई तिल
बल जब अनपढ़ ही राई दिल
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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