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गोल गोल रुपया कि देख रे रिंगण


गोल गोल रुपया कि देख रे रिंगण

गोल गोल रुपया कि देख रे रिंगण
गिर गिर ग्याई वेमा मेरो उत्तराखंड

देख कनि लम्बी ये रांग लगिचा
किरमोलों जनि ये रुपया मा लपकी चा

दादा बोबा बेटा सब एक पिछने प्ल्यां छन
छन छन बजनि एंकि कन कनुडी घन-घन

अब दिन रात जपा ये दोई रूटा को ग़फ़ा
यूँ लपक छपक मा तू बी झपाक गै रे भुल्हा

पोट्गी कू आग देख इन यख कन ब्लीच
जंगलात कु नाश व्हाई पुंगड़ी बांज पडिचा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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