पहाड़ों पे पहली बरसात
पहाड़ों पे पहली बरसात
जब गिरती है झम झम
मयूर नाच उठते हैं
नाच उठते हैं ये तन मन
धरा भीग जाती है
भीग जाते हैं जब ये जल थल
सौंधी सुगंध माटी की
तृप्त करती है जब ये मन
अंकुरित होते हैं भाव
नये नये रूप लेकर वो सृजन सार
देख इन्द्रधनुष के वो सात रंग
पत्थरों पर जब आ जाता यौवन
कई नदी नयी निकलती है
अठखेली लेती है वो झरनों के संग
पहाड़ों पर चल देखने वो उमंग
चलो झूमें और भीगे उसके संग
पहाड़ों पे पहली बरसात ……
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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