उत्तराखंड में है गाँव मेरा
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
मै उस से जुदा वो सब से जुदा
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
कहते हैं वहां पे दिखता है खुदा
मन में बसा वो मेरे वो क्यों हो गया जुदा
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
कंकड़ कंकड़ बोलता है वहां
मै एक कंकड़ वहां क्यों ना बोल सका
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
ये बहती हवा उसके होने का अहसास दे
जा यंहा से बह के वहां जा के मेरा प्यार दे
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
अकेला यंहा मै है अकेला वहां वो
फासले बढ़ गये क्यों सीने गढ़ गयी दूरियां
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
पूछों किस को है ये किस की खता
चुप हूँ मै अब वो भी अब चुपचाप खड़ा
उत्तराखंड में है गाँव मेरा
डर है मुझे वो दिन ना आ जाये कहीं
ना हम कहें कभी की
उत्तराखंड में था कभी गाँव मेरा
उत्तराखंड में था कभी गाँव मेरा
उत्तराखंड में था कभी गाँव मेरा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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