अभी ले लूँ थोड़ा आराम माँ तेरी गोदी में मैं
अभिलाषा घोसले की
इसलिये उड़े पक्षी संध्या को
मन भागता मेरा तेरी ओर
गोद में ले माँ अपने बच्चों को
बहुत कष्ट सहन कर
जीवन थक से अब चूर हो गया है
माँ मेरे मुख में कुछ खाना डाल दे
ये आँखें अब आतुर हैं सोने को
इस सुख के पीछे लग के
अगर मैंने अपना गांव छोड़ा
एक क्षण भी मुझे माँ
तेरी याद ने अकेला ना छोड़ा
बैचैन है मन मेरा
माँ मेरी तेरी वो भेंट करने को
यादों में तुम्हरे आज माँ
गला मेर आज भीग गया
मेहनत करके मैंने बहुत
रुपया अगर मैंने जमा किया
इस कागज के टुकड़े के लिये
हर बच्चा माँ से दूर हुआ
सब रस्ते छोड़कर
अपने गाँव कैसे पहुँच जाऊं
सेवा करते हुये माँ तेरी
ये देह मेरी माटी में मिल जाये
सुख के दिन आये
जब बच्चा अपने घर को वापस आये
पूरी हो गयी अब सब मजदूरी
अभी ले लूँ थोड़ा आराम माँ तेरी गोदी में मैं
अभी ले लूँ थोड़ा आराम माँ तेरी गोदी में मैं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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