आलू टमाटर भिन्डी गोभी
आलू टमाटर भिन्डी गोभी
हो गयी है सब गोल
गायब हो गयी दाल हमारी
वो प्याज तेरा क्या मोल
मुर्गे की अब सुनता है दिल
जब फुर्र उड़ गयी ये दाल
दाल बराबर मुर्गी है अब
है ना ये अब अनोखा मेल
अच्छे दिन की ये मारामारी
बरसों की है ये बची उधारी
कैसे ना कैसे उभर आयेगा ये
देख खेल रहा समय सारा खेल
आलू टमाटर भिन्डी गोभी ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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