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पहली बार मुझे लगा है ऐसा


पहली बार मुझे लगा है ऐसा

पहली बार मुझे लगा है ऐसा
कोई मिला मुझे बिलकुल मेरे जैसा
पहली बार मुझे लगा है ऐसा .......

आँखें बंद करूँ या खोले रखूं मै
उठ जाऊं या फिर सोये रहूँ मै
ये अँधेरी रात वो सुबह के सवेरे
कुछ भी नहीं रहा अब बस में मेरे
पहली बार मुझे लगा है ऐसा .......

वो मीठी मीठी नींद जगी है मुझ में
भीनी माटी की वो सुगंध मिली है उसमे
पहली बरखा की फ़ुवार ने छुआ है
नेमतों ने आकर मेरे दिल से कहा है
पहली बार मुझे लगा है ऐसा .......

प्यार में जीना गुनाह लगता था
तुम से ना मिला था मै तब लगता था
मिली है जब से ये तेरी रंग नूर की आँखें
पागल था मै तब या मै अब लगता हूँ
पहली बार मुझे लगा है ऐसा .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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