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हर अपना बेगाना हो चला


हर अपना बेगाना हो चला

हर अपना बेगाना हो चला ..... २
जिंदगी का ..... २ ये फ़साना हो चला
हर अपना बेगाना हो चला

हँसते हँसते ये आँसूं कब रोने लगे ..... २
लगी जब खबर इसकी एक जमाना गुजर गया
हर अपना बेगाना हो चला

एक एक को अपना जाना माना था ..... २
मुसीबत जब पड़ी वो जाना माना समझ गया
हर अपना बेगाना हो चला

जिंदगी है एक सफर ये माना सनम ..... २
ना तो कोई राहें मिली ना कोई बने मुसाफिर हम
हर अपना बेगाना हो चला

बहुत सुनहरे ख़्वाब देखे थे मैंने भी ..... २
ना ये काली रात ढली ना वो सपना पूरा हुआ
हर अपना बेगाना हो चला

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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