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अभी खड़ा वो इंतजार





अभी खड़ा वो इंतजार

अभी खड़ा वो इंतजार
अभी बड़ा वो बेकरार
क्यों किया इसने किसी से प्यार
क्यों किया ये आँखें चार
अभी खड़ा वो इंतजार
अभी बड़ा वो बेकरार

आँखों का था कसूर सब
दिल को क्यों मिली सजा
धड़कन के साथ बह रही
देखो आँखों से बहता वो प्यार
अभी खड़ा वो इंतजार
अभी बड़ा वो बेकरार

उम्मीद ये लगी है
आयेगी वो यहीं है
झूठा निकला उसका वो करार
ना आयी यंहा वो एक बार
अभी खड़ा वो इंतजार
अभी बड़ा वो बेकरार

कैसे करूँ यकीन मैं
बेवफ़ा वो बिलकुल नहीं
फिर भी खड़ा मैं यूँ ही रहा
क्योंकि करता हूँ मैं उससे बहुत प्यार
अभी खड़ा वो इंतजार
अभी बड़ा वो बेकरार

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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