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तारे सभी चले गये



तारे सभी चले गये

तारे सभी चले गये
खाली ये आसमान हो गया
सहारे सभी छोड़ चले गये
बुढा शरीर अकेला थक के सो गया
तारे सभी चले गये .......

आँखों में ना सकून ना चैन है
हैरान है वो मेरे साथ ऐसा क्यों हो गया
नजारें सभी यंहा से सभी लुप्त हो चले
आँखों को मेरे ये क्या हो गया
तारे सभी चले गये .......

वो ही जाने जिस पर बीतती है
सारा जहाँ बस चैन से सो गया
भूखा है बगल में कोई रो रहा
दुःख ये आँसूं तू ऐसे क्यों खो रहा
तारे सभी चले गये .......

देखा था जो सपना उसने तेरे लिये
उसने चुपचाप उसे पूरा कर वो चला गया
आयी जो बारी जब तेरे कन्धों पर
वो आज इतने कमजोर मजबूर क्यों हो गये
तारे सभी चले गये
खाली ये आसमान हो गया .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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