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सोच ये सोच


सोच ये सोच

सोच ये सोच
बदलनी चाहिये
सब कुछ ये बदल जायेगा
जब ये सोच ही बदल जायेगी
सोच ये सोच
बदलनी चाहिये ये

खोज खुद के भीतर खोज
क्या है वो सोच जो बदलनी चाहिये
आँखें उठकर कर हर ओर देख ले
बिखरा पड़ा समान है वो तेरा समेट ले
सोच ये सोच
बदलनी चाहिये ये

सब कुछ अब बदल रहा है
खुद का प्रतिबिंब तुझ से अब ये कह रहा है
मान ले इस परिवर्तन की सच्चाई को
जान ले तू नहीं तो खुद मिट जायेगा
सोच ये सोच
बदलनी चाहिये ये

पहले खुद पे भरोसा कर
फिर लोगों में जाकर परोसा कर
वो प्रगति की सुबह यंहा पर होगी
वो माटी अपनी तुझ से कहेगी
सोच ये सोच
बदलनी चाहिये ये

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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