बस इतना ही था
इतना जिंदगी का है फलसफां
बस जियो जिंदगी हँसते हँसते
बस यही चीजें मायने रखती है
जब आईना उसे देख के हँसता है
जी भरके जियो यंहा एक एक पल
ना जाने कब निकल जाये ये पल
बस यही बात यंहा पर कीमती है
तेरी हंसी दूसरे में जब हंसती है
बस ये सब कुछ था तेरे अंदर ही
पर उसे तू खोजता रहा कहाँ कहाँ
ना ये तेरी बस्ती है ना मेरी है
छूट जाएगी सब जो तेरी हस्ती है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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