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आती है जब भी मुश्किलें


आती है जब भी मुश्किलें

आती है जब भी मुश्किलें
तुम बहोत याद आते हो दोस्तों

कुछ ग़म कुछ अल्फाज़ वही
कुछ अनकही नज्म जो हमने मिलके गढ़ी
उन्हें फुर्सत में हम फिर गुनगुना लेते हैं दोस्तों
वो छूटे चौराहे खड़े तुम्हे फिर याद कर लेते हैं दोस्तों

बीत समय जो बीता वो तुम्हारे संग
फिर आँखों में छा जाता है दोस्तों

कहीं कुछ भी वो कह देना अपना
सीना तानकर देख लेना मिलके वो सपना
कुछ इस तरहा से सौदा कीया था हमने उस वक़्त से दोस्तों
देकर तजुर्बे वो हमे हम से नादानियाँ ले गया दोस्तों

अब भी हंसने के दो चार पल
उन यादों में तुम दे जाते हो दोस्तों

अब भी यक़ीन होता है दोस्ती वो ऐसा नायाब तोहफा
बंधी जो डोर दिल ने दिल से थी एक बार कभी
आ जाती है वो डोर तुम्हारी दौड़कर मुश्किलों में मेरे पास दोस्तों
ऐसे हल्का कर जाती है मुश्किलों से वो तुम्हारी याद मुझे दोस्तों

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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