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टूटे टूटे से जोड़े


टूटे टूटे से जोड़े

टूटे टूटे से जोड़े
वो सारे रिश्ते नजर आते हैं
हम तो अब उन रिश्तों में
खुद से बिके नजर आते हैं
टूटे टूटे से जोड़े .....

लालच ने ओढ़ा मुझे
अहम ने कुछ ऐसा निचोड़ा है
दिख रहा साफ़ पतन का रास्ता
फिर भी कदम मैंने वहीँ पर मोड़ा है
टूटे टूटे से जोड़े .....

दिल ने समझया था मुझे
क़दमों ने आगे बढ़ने से रोका भी था
एक आवाज आयी थी ना जाने कहाँ से
पर अनसुना कर मै आगे बढ़ ही गया
टूटे टूटे से जोड़े .....

सोचा मैंने बस अपने ही बारे में
ना फ़िक्र की किसी की किसी बहने से
जीवन का अंत समीप है अब सब याद आ रहा है
क्या खोया मैंने साफ़ सा अब मुझे नजर आ रहा है
टूटे टूटे से जोड़े .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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