ADD

चेहरा बस उसका देख के



चेहरा बस उसका देख के

चेहरा बस उसका देख के
सवेरा मेरा उग आता है
उसकी एक मुस्कान पे
मेरा बचपन लौटा आता है

मेरे अधूरे सपने को
जब वो पूरा करना चाहता है
मेरा अधूरा सपना तब मुझे
वो पूरा सा नजर आता है

उसके दिल के किसी कोने में
खुद को जब हम पाते हैं
इस दिल के कोरे कागज़ पे
वो अपनी कविता लिख जाता है

उसके लिये दुआओं का सफर
बस दिन रात अब यूँ चलता है
नजर ना लगे उसे मेरी
काला टिका उसके गलों लगता है

चेहरा बस उसका देख के ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ