यूँ ही राहों पे चलते चलते
यूँ ही राहों पे चलते चलते
बंध ही जायेंगे अपने रिश्ते ..... २
बस तू यूँ ही एक बार जरा देख के हंस दे
ये बात बन जायेगी तब यूँ ही हँसते हँसते
यूँ ही राहों पे चलते चलते .... २
ख्वाबो के दामन से चुरा लेंगे हम तुम्हे
संभाल के जरा तू रहना अब हम से
पास हम तेरे जब भी भटके
वो अहसास जगा देंगे तुम में हम भी हँसते हँसते
यूँ ही राहों पे चलते चलते .... २
ज़िन्दगी बस फिसलती रेत है
मुस्कुराकर चल मुसाफिर यंहा पर हँसते हँसते
कब पता नहीं किस मोड़ सफर खत्म हो तेरा
इस ग़म को भी यंहा मुस्कुराना सीखा दे तू हँसते हँसते
यूँ ही राहों पे चलते चलते
बंध ही जायेंगे अपने रिश्ते ..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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