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मेरे गांव के घर पे



मेरे गांव के घर पे

मेरे गांव के घर पे
एक दीपक तुम जला देना
रहता कोई है अब भी वहां
ऐसा सब को बता देना
मेरे गांव के घर पे ……

सूना सूना ना लगे किसी को
मेरे घर से भी बग्वाल गुजार देना
ढोल दामो तुम वहां पर बजाकर
वो पहाड़ का उत्साह दिखा देना
मेरे गांव के घर पे ……

देहली पर आटे की रंगोली बनकर
थोड़े फूल पात्ती भी चढ़ा देना
नत मत हो कर मेरे पित्तरों से
मेरी क्षमा याचना भी कर देना
मेरे गांव के घर पे ……

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
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