ADD

दोनों को कुछ कहना था



दोनों को कुछ कहना था

दोनों को कुछ कहना था
दोनों ही कुछ ना कह पाये जी
धरती और आकश को मिलना था
दोनों भी अब तक ना मिल पाये जी
दोनों को कुछ कहना था ................

एक उम्र पड़ी है वो रेल के जैसी
भागती रहती है दो पटरी पे यूँ ही
उम्मीद में है वो कोई आयेगा स्टेशन
वो पटरियां तब आपस में मिल जायेंगी
ऐसा मगर क्यों होता नहीं
दोनों को कुछ कहना था ................

एक दूसरे पर निर्भर सब है
साथ में चलते रहना ही वो सुख है
दुःख जब बाँट लोगे आधा आधा
समझ जाओगे तुम वो अपना वादा
दूर हैं पर पास सदा तुम्हारे
दोनों को कुछ कहना था ................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ