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एक अंधेरा जलता है


एक अंधेरा जलता है

एक अंधेरा जलता है
एक सवेरा चलता है
देखना है अब इन में से पहले
तू किस से और कैसे निपटता है
एक अंधेरा जलता है ......

दूर है वो पर पास तेरे
पास है वो पर बहुत दूर तुझ से
चुनना है अब तुझ को ही
कौन तेरे साथ अब चलता है
एक अंधेरा जलता है ......

फर्क तेरे बस इस सोच का है
तू उसे अब खुद में कैसे ढालता है
बस बैठे रहेगा क्या तू ऐसे ही
या फिर दो कदम तू उसके साथ चलता है
एक अंधेरा जलता है ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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