अब भी बाकी हैं
कुछ काम करने बाकी थे
बहुत सारे नाम लेने अब भी बाकी हैं
रह गये अधूरे अपने से ही कोने में
वो टूटे सपने अधूरे अब भी बाकी हैं
इतने रोये हम जीवन भर
उन आँखों में आँसूं अब भी बाकी हैं
बहुत कुछ कह दिया था मैंने उनको
पर कुछ बात कहनी अब भी बाकी हैं
अपने में ऐसे उलझे रह गये हम
कुछ और धागे खोलने अब भी बाकी हैं
कुछ तुम्हारे भी अब भी बाकी होंगे
जिस तरह वो मेरे अब भी बाकी हैं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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