हर रोज ये सुबह यंहा आती है
हर रोज ये सुबह यंहा आती है
हर रोज ये शाम यंहा गाती है
किसी को आँसूं किसी को हंसी
ये जिंदगी यूँ ही ना दे जाती है
लेना है तुझे जो भी यंहा ले ले
देना है तुझे जो भी यंहा दे दे
बस बात एक ये तू गांठ ले
प्रेम ही प्रेम तू यंहा बाँट ले
भूल से भी ना तुझ से भूल हो
जो दिया ऊपरवाले ने वो तुझे सब कबूल हो
सब कुछ तुझ पर ही निर्भर है अब
कौन सा लक्ष्य कौन रास्ता तुझे अनकूल हो
तेरी राह पर तेरे पीछे अब और भी चलेंगे
देख उनके सपनों की ना कोई दिशा भूल हो
मेरे देश के कंधो पर कंधा है मेरे गाँव का
देखे तेरे कंधों से अब की बार ना कोई चूक हो
हर रोज ये सुबह यंहा आती है ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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