ADD

हूँ … हा ….



हूँ … हा ….

कैसे खोजों उसे
जो खोया खुद में ही कहीं
चार दिवारी हो या
हो वो खुला आसमान
बंद है अपने आप से
हूँ … हा …वो सांस कहीं आज मेरी
कैसे खोजों उसे .......

बालकृष्ण ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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