ADD

देख तू अपनी आदत बदल दे


देख तू अपनी आदत बदल दे

देख तू अपनी आदत बदल दे
शाम होते ही तू अपने घर को चल दे
बस इतने में मुझे तेरा सहार मिल जायेगा
इस तूफान में मुझे अपना किनारा मिल जायेगा
देख तू अपनी आदत बदल दे

ना लड़खड़ा के यूँ आ देख बात मेरी मान जा
इस शराब ने अब तक कितनो को है पिया
रोक जा तो अब तू ऐसी गलती ना दोहरा
देख अपनों का चेहरा अब तू लौट आ
देख तू अपनी आदत बदल दे

क्या रखा है इसमें जो हमारे प्रेम में नहीं है
मदहोश रहता है अक्सर तू क्यों होश तुझे नहीं है
क्या परवाह नहीं है तुझे तेरे धर्म और कर्म की
क्यों उसको बिगाड़ रहा है क्यों इसको अपना रहा है
देख तू अपनी आदत बदल दे

बस दो पल के इस मजा में जिंदगी भर की सजा है
गिरते पड़ते इन सड़कों पर क्यों बसा तेरा जहां है
राख तू हो जायेगा जरूर तेरे परिवार का तब क्या है
क्यों दे रहा है उन्हें सजा बता क्या उनकी है खता
देख तू अपनी आदत बदल दे

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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