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कर गया था मुझसे जो तू


कर गया था मुझसे जो तू

मेरे उत्तराखंड पहाड़ को
अब भी विशवास ये आशा है
कर गया था मुझसे जो तू
पूरा करने तू आयेगा वो तेरा वादा है

खिलती है वो सुबह अब भी
बस तेरे दिये उस एक इंतजार में
बैठी वो लेके प्यार तेरा
बस तेरे ही वो ख्याल में

भरोसा है उस को तुझ पे
तू आयेगा एक दिन जरूर यहां
सजती-सँवरती हर रोज ऐसे क्यों
कभी तू इस आईने से आ के तू पूछ

बड़ा कठिन है ये बिछोह कहना
गीली लकड़ी की तरह जल के देख
समझ में आ जायेगा फिर तुझे की
आग ज्यादा रोता है या फिर धुँआ

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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