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टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार


टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार

टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार
उम्र के हर पड़ाव का बस मोड़ है प्यार
महसूस करो उसे बस मन से वो है प्यार
सुख दुःख के सागर का निचोड़ है प्यार

हर आँसूं का गीत है प्यार
हर बिछोह का मीत है प्यार
उस मिलन का संगीत है प्यार
अधूरी कहानी का दर्द है प्यार

अपनापन जगाता है प्यार
हर एक से मिलता है प्यार
गैरों को भी अपना बनाता है प्यार
दुश्मन को भी दोस्त बनाता है प्यार

जिसमे छुपा जीवन का सार वो है प्यार
जिसकी परतें हैं कई हजार वो है प्यार
अपने भावों का इजहार वो है प्यार
सच्चाई निष्ठ झलकें बार बार वो है प्यार

प्रभु गुरु से हमे मिलता है प्यार
माता पिता के पैरों में फैला है प्यार
संगनी के संग खिलता है प्यार
बच्चों को सही दिशा दिखता है प्यार

टूटी हुई लकड़ी का वो छोर है प्यार ..........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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