जब भी
पढ़ लेना इसे समय मिले जब भी
अपना - २ सा वो जरूर लगेगा
सोचेगा वो मन फिर खुद ही खुद से
फिर प्रश्न अपने से ही पूछ लेगा
क्यों ना पूछा क्यों छुपाया उसे मैंने
जब अंतर मन मन से छलेगा
बड़ी वेदना बड़ा कष्ट होगा मन को
वो प्रश्न तेरा जब प्रश्न रहेगा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
0 टिप्पणियाँ