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जिकोड़ी मेरी बस जी


जिकोड़ी मेरी बस जी

जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च
तै दगडी ही जियू अब बी वा लटकण लगिं च
हिटा दा हिटा दा ये सैरी जिंदगी तेर बान
ऐग्युं ये छोर (अब तब जब निकलाल परान ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......

सैरी जिंदगी मेर अब इनि ही ग्याई
यख कुच बी नि पाई मिल सबै ब्यर्थ ही ग्याई
अक्ल दाढ़ बी मेर ये बुढ़ापा मां ही ऐई
हैरी हैरी हरी कैकि (मिल कया पाई ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......

बोगी की ग्याई बल सब यख जी कुच बी ना राई
फक्त एक स्वास आई बस जी एक स्वास ग्याई
अपरी मां रैग्युं मि जी कुच बी समण देक नि पाई
कुटुमदरी कू झमेलों से (मि कबि निकल नि पाई ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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