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हेर मेरो मन को


हेर मेरो मन को

हेर मेरो मन को
हेर मेरो तन को
म्यार तन मन ही राई
सुधि सुधि ऊ मि मा आई
सुधि सुधि ऊ मि सै ग्याई
हेर मेरो मन को ....

छुंई लगाई मिन वै दगडी
मिन बात बी बड़ई अब वै दगडी
अध बाटा तक वैल मेरो साथ निभै
यखुली छोड़ि मिथे वैल अपरि बाट निभै
हेर मेरो मन को ....

कैथै जैकी अब मनेऊ मि
कैथे जैकी अब समझैऊ मि
जब खुद ही नसमझ बनि मि
कैथै जैकी बतैऊ कैथै हरेऊ मि
हेर मेरो मन को ....

बगदि जनि वा न्यार बनि
मेर से अब औ भांड्या दूर जानि
आँख्यु छोड़िकी ऊ आस को पाणी
टिप टिप किलै वहलि आँखा टप्राणि
हेर मेरो मन को ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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