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मिल कया सोची मिल कया लयखि


मिल कया सोची मिल कया लयखि

मिल कया सोची मिल कया लयखि
सब ऐ आखर मां ही दाड़ी रैग्याई
गीत लयखि इन फूल परी मिन
पर ऊ भोंर मिसे विन्थे लुछी लेग्याई
मिल कया सोची मिल कया लयखि
सब वै आखर मां ही दाड़ी रैग्याई .......

कैंण बणे व्हली ये बिगरैलि दुनिया
को हुलु ऐको रख-रखवलदरो
कैल सैंती पाली धरि छे इंथे
कू हुलु इंथे इन संभळनु व्हलु
कदग प्रसन पडण छन मिथे को देलु ऐको जवाब
मिल कया सोची मिल कया लयखि
सब वै आखर मां ही दाड़ी रैग्याई .......

अपरा अपरि मा ही अब लिख दूँ छों मि
सुख दुःख गैनु दगडी अब यखुली गिणदू छों मि
रति के बेली अब मेरी च दिस तुमरा वहैगेनि
सुख म्यार तुम ले लिंवा दुःख तुमरा मिथे दे दिंवा
इन ये पका वादा तुम मै दगडी कै जैंवा
मिल कया सोची मिल कया लयखि
सब वै आखर मां ही दाड़ी रैग्याई .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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