ADD

बरखा आ जाओ अब तुम


बरखा आ जाओ अब तुम

बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर
तपने लगी है सखी तुम्हारी
आ के अब इस धरा की प्यास बुझा जाओ
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर

आँखों के अश्क
सूखने को अब बेकरार खड़े
पानी के साथ भूख ने
भी कर दिया अब बेजार हमे
अब ना हमे मारो तुम
ऐसे ना दम निकलो तुम
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर

माना गलती हमारी है
वो गलती हम पर ही पड़ गयी भारी है
काटे हैं कितने पेड़ हमने
व्यर्थ बहाया है पानी खुद हम ने हम से
फेका है खाना उसे फिजूल समझकर
उस दाने की कीमत ना समझे हम अब तक
भूख प्यास तपन से हम हारे
आ जाओ हमारे तारण हारे
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर

ना देर कर अब तो
फिर आके रहम कर दे हम पे अब तू
हमारी सजा क्यों औरों को देता है
इस सफर में इंसान तुझे बस धोखा देता है
पशु पक्षियों ने क्या तेरा बिगाड़ है
तू ही तो अब सब का सहारा है
देख आंखें मेरी पथराने से पहले
तेरे काले बादल आ के चुप चाप चले जाने से पहले
बरखा आ जाओ अब तुम
इस धरा पर

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ