अब नि क्वी रैनू चैंदु रे
बुड्या बुडरि ही रैगे रे
ये ऊकाला तू इन कया कैगे रे
अब नि क्वी रैनू चैंदु रे
ब्वारी बी हमरी हरचन लगगि रे
बेटा हमरा रुपया जब खरचन लगगि रे
सैरा का बाटा मा झड़ी लगगि रे
संघुलों परी तला लतगि रे
बिकास का ऊ झूठ वादा करेगि रे
ज्वानो को धैर्य खचगि रे
अब नि क्वी रैनू चैंदु रे .... ?
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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