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मि ऊनि कि ऊनि ही रेग्युं जी


मि ऊनि कि ऊनि ही रेग्युं जी

मि ऊनि कि ऊनि ही रेग्युं जी
सुपन्या मेरा बुनि ऊ बुनि ही रैगे जी

कया पाई यख कया खोई मिल बल
दोई आँखि सन्तोस नि पाई बस रोई बल

अपरा ना क्वी यख ना क्वी बिराण जी
ये भेद जानि कि बी मि किलै अजाण राई जी

रात गुजरी गे अब ये दीना की बारी ऐई बल
अंधारु बितीगे किलै की मेरो ऊजाळू नि ऐई बल

आंख्युं समण सब चित्र चलोमांन जी होणा छन
जिकोडि माया सब किलै कि ऐमा सब पिसण छन

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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