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कदग दिनों का बाद दिके आच वा


कदग दिनों का बाद दिके आच वा

कदग दिनों का बाद दिके आच वा
फिर अपरि ही बता कैगे मेर साथ वा
जिनु को मिथे देंगे फिर नै आस वा
कदग दिनों का बाद दिके आच वा .......

कुच ना ब्वालि मिन विंसे आच बी
बस मि विंथे थे ही देकदू रैग्युं वै बाटा जी
पैली भेंट मा खोली गे छ्या मि
ऐ मुलकात मां बी खोल्युं रैग्युं आच बी
कदग दिनों का बाद दिके आच वा .......

मिठू बोल पड़ी कनुडी मा विंकी जबै
ईं जिकुड़ी मा कन के प्रित रास घुल ग्याई
मिथे मिसे ना जाण वा कख क ले जांण लगे
अब रोज ही में दगड़ किलै कि इन हुण लगे
कदग दिनों का बाद दिके आच वा .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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