कथा माया कि
कथा माया कि मि लगै ना पाऊँ
बियोगा मा तेर मि देक हँसै ना पाऊँ
आँखों का धारा बग्ने आँखों माँ तेर देके ना पाऊँ
युखलि बी ईन तेर बिगर मि किलै रै ना पाऊँ
कथा पिरिति कि मेरा पिरिति कि
कन च ये मेर माया मि तैसे लगै ना पाऊँ
तैसे बते की बी मि ये बात बते ना पाऊँ
ये आँखा मां जुनि सी तै थे बसै ना पाऊँ
ये गिच से किले विंथे मि बते ना पाऊँ
कथा पिरिति कि मेरा पिरिति कि
आच देकि छे विंथे थे फिर मिन समण
किले ये जियू की बात मि विंसे बोले ना पाऊं
दिन रात इनि फिर दूँ मि माया मां विंकी
अपरी ये प्रेम कबिता किलै विंथे सुने ना पाऊं
कथा पिरिति कि मेरा पिरिति कि
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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