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ग़ज़ल क्या हैं



ग़ज़ल क्या हैं

ग़ज़ल क्या हैं
जज़्बात और अलफाजों का
एक गुंचा ये मज़्मुआ है वो
शायरी की इज़्ज़त वो आबरू है वो
ग़ज़ल क्या हैं

मधुर दिलकश रसीली है वो
दिल के नाज़ुक तारों का हिस्सा है वो
भावनाएं पैदा करती हैं वो
मेरे बयां के लिये
ग़ज़ल क्या हैं

माशूक से बातचीत है वो
कंठ की दर्द भरी आवाज़ है वो
करूण स्वर बोल रही है वो
ज़िंदगी की कोई पहलू है वो
ग़ज़ल क्या हैं

शेर की दो पंक्तियों का सार है वो
मत्ला क़ाफिया रदीफ मक़्ता का जोड़ है वो
एक बुनियाद है वो
हृदय मन कोमल भावनाओं का निचोड़ है वो
ग़ज़ल क्या हैं

माशूक हृदय में झांकती हुयी
जिस्म ख़ूबसूरती का अंदाज है वो
बनाव-सिंगर और नाज़ों-अदा है वो
इश्क़ का एक जामे सागर है वो
ग़ज़ल क्या हैं

इक़बाल’ की नज़्म है वो
ज्वलंत कोई व्यंग है वो
काल्पनिक दुनिया में रहती वो
यथार्त की देन है वो
ग़ज़ल क्या हैं

इतिहास रोज़ लिखाता है उसे
क्षितिज पर रोज़ स्वर उभरे हैं उसके
संगीत की त्रिवेणी संगम है वो
बातें, शब्द, तर्ज़ की आवाज़ है वो
ग़ज़ल क्या हैं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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