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तै देख्द .......


तै देख्द .......

तै देख्द
जिकुड़ी मेर लूछी गे
अग्ने-पिछने दौड़ी भागी
वा त्वैमा जै लूकिगे

तेर मुखडी से
मेर माया इन जुडी गे
झणी सोँण भोंदों बरखा
आच झम झम बरसी गे

तै लिपटी की
ऊं बरखा धार मेसै कैगे
ज्वानी को पियार मा
तू बी पौड़ी गे

तै देख्द .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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