ADD

मि त अपरा गौं मुल्क जानू छों


मि त अपरा गौं मुल्क जानू छों

मि त अपरा गौं मुल्क जानू छों
तू बी ऐजा भुला
अपरि ईं जिकुड़ी थे
तू इन और्री ना रुला

बुरांस फ्योंली फूली गेली
तै थे च क्या च पता
मस्त बसंत पहाड़ों पसरयों गे हुलो
तै थे च क्या च पता
अप्रि जल्म भूमि देख हाक देणी
तू बी विन्थे हाक देकि बथा
मि त अपरा गौं मुल्क जानू छों
तू बी ऐजा भुला
अपरि ईं जिकुड़ी थे
तू इन और्री ना रुला

मि दोल दामों बोलणो
मास्को बाजा मि रिझानु
धिगतालो वा मेरी दगडी लगाणो
ईं मेरी जिकुड़ी थे जी ऊ नचानु
तू बी ऐकि चल मेरो दगड़
विन्थे दुंला वख जैकी नचा
मि त अपरा गौं मुल्क जानू छों
तू बी ऐजा भुला
अपरि ईं जिकुड़ी थे
तू इन और्री ना रुला

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ