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क्या च तेरो भित्र धर्युं


क्या च तेरो भित्र धर्युं

क्या च तेरो भित्र धर्युं
मेंसे किलै बच्चोंदी ना
तू किलै बच्चोंदी ना ....... २
क्या च तेरो भित्र धर्युं

इतगा किलै रुसै मेंसे
वै रुसै की तू कथा लगे दे
अपरि ई छुईंलि गिचि थे
तू और्री ना इन सजा दे
क्या च तेरो भित्र धर्युं

देक तेरो इन रुसैनु
तेरो इन मिसै नि बोलेणु
अचु नि लगदू मिथे अब
मिथे अब तेरो इन गप रैनू
क्या च तेरो भित्र धर्युं

गुबरा ना बने इन ग्लोडि थे
नारज ना हो इतगा अब भंड्या
भलो नि लगदू मिथे अब
झट छोड़ि गुसा झट मनजा
क्या च तेरो भित्र धर्युं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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