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रे मन मेरो



रे मन मेरो

कख कख जाणु रे
रे मन मेरो ..... २

कन तेरो चबलहट
कया तेरो इन ब्यापर
तेथे किलै ऊ अब सम्झनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

द्विवी घडी ऐ यख बैठी जा
ऐकि मेसे भेटि जा
ऐ हात नि अब आनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

कै घारा अब अटकीगै
कै बाण बल ऐ भटकीगे
कैथे अब ऐ मनानु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

माया को ऐ खेल छन
मायाल सब खिंडी खेली
तिल ऐ खेल खेल नि जणी रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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