रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
रे मन मेरो ..... २
कन तेरो चबलहट
कया तेरो इन ब्यापर
तेथे किलै ऊ अब सम्झनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
द्विवी घडी ऐ यख बैठी जा
ऐकि मेसे भेटि जा
ऐ हात नि अब आनु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
कै घारा अब अटकीगै
कै बाण बल ऐ भटकीगे
कैथे अब ऐ मनानु रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
माया को ऐ खेल छन
मायाल सब खिंडी खेली
तिल ऐ खेल खेल नि जणी रे
रे मन मेरो
कख कख जाणु रे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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