आज कल
बस तेरी कमी खलती रही
आँखों की ये नमी कहती रही
आज कल आज कल
राज रहता नहीं वो साथ मेरे
कोई कहता नहीं आके वो पास मेरे
आज कल आज कल
मर्ज़ क्यों कम अब होता नहीं
दर्द क्यों आकर अब हँसता नहीं
आज कल आज कल
रास्ते मिल गये मंजिल मिलती नहीं
जो छोड़ गये उनके निशाँ दिखते नहीं
आज कल आज कल
चाँद बहुत बेताब है अकेला
सूरज भी अब धधकता है बहुत अकेला
आज कल आज कल
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ