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जलती हुयी तीलियों का



जलती हुयी तीलियों का

जलती हुयी तीलियों का इतना ही फ़साना है
जलना एक पल और दूजे पल राख हो जाना है

जल कर रोशन इस अंधेरे को उसे कर जाना है
उस उजाले को महसूस कर उस में खो जाना है

कुछ ऐसा ही है देख समझ पगले अपना जीवन ये
चलते चलते पहचान समय को जी भर जी ले उस में रे

ना रहने वाला कुछ भी यंहा ना तू पाने वाला रे
क्यों इतना जग में डूबा हुआ डूब जा जरा तू खुद में रे

तुझ में ही मिलेगा तुझको वो तेरा अनदेखा रास्ता रे
खोज ले खुद को तू खोया है तू अब खुद ही में रे

जलती हुयी तीलियों का इतना ही फ़साना है

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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