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वहां पहाड़ों में


वहां पहाड़ों में

गिरते हुये झरनों का पानी कहे
छम छम
मेरे पहाड़ों की वो रवानी कहे
छम छम

अमरुद सेब अरु की डाली झूमे
झम झम
मेरे पहाड़ों की वो बोली झूमे
झम झम

पौड़ी कमो टिहरी जौनसार घूमे
चल चल
मेरे पहाड़ों की वो सड़कें घूमे
चल चल

छूट ना जाये कुछ सुंदर सा तेरा
पल पल
मेरे पहाड़ों पर वो यादें चले
पल पल

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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