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आज इसलिए चुप हूँ मैं


आज इसलिए चुप हूँ मैं

ज़िंदगी बड़ी नादान
दर्द ही दर्द सुबह शाम
कहो तो कह दूं इस ज़माने से दास्तान
उसमे आएगा बस तुम्हारा नाम
आज इसलिए चुप हूँ मैं..

किस बात से बिगड़ गये हो
कोई इल्ज़ाम इस दिल पे लगा जाते
तुम रूठ कर जाने से पहले
कुछ हमारी सुनते कुछ अपनी सुना जाते
आज इसलिए चुप हूँ मैं..

दिल से ये दुआ है
की तुम्हारी ज़िंदगी निखर जाए
तलाश है तुझे जो वो तुझे नज़र आए
खुदा करे वो खुद तुम्हारी तलाश में आए
आज इसलिए चुप हूँ मैं..

कुछ रिश्ते बाँध जाते हैं
अंजाने ज़िंदगी से जुड़ जाते हैं
कहते हैं उस रिश्ते में दोस्ती होती है
जब दिल से दिल मिल जाते हैं
आज इसलिए चुप हूँ मैं..

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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