बहुत अजीब बात है ये ना
बहुत अजीब बात है ये ना
बता अब वो कौन और किस के साथ है ये ना
मेरे हिस्से की तकलीफें बस वो मेरी ही थी.
मैं बे वजह ही इल्जाम देता रहा औरों को
जान लीजिये खुद को अब पहचान लीजिये खुद को
ऐसे ना हो अब कोने में रखा कबाड़ मान लीजिये खुद को
आईना वो ही दिखता रहा जो मैं देखना चाहता रहा
बहुत कोशिशें की मैंने पर मैं खुद को ना देख सका
बहुत बारिशें हुयी मुझ पर वो आयी और चली भी गयी
पर मेरे जमीर पर पड़ी मिटटी को वो गीला ना कर सकी
बहुत अजीब बात है ये ना
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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