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पत्थर की ये दुनिया


पत्थर की ये दुनिया

पत्थर की ये दुनिया
मेरे जज़्बात नही समझती, .... २
दिल में मेरे क्या है
वो मेरी बात नही समझती, .... २

तन्हा तन्हा तो चाँद भी है
इन लाखों सितारों के बीच में भी
पर उस चाँद का दर्द भी तो
ये रात भी तो नही समझती
वो मेरी बात नही समझती,

जख्म भरे सीने भर जायेंगें आप ही से
आसूं मोती बन बिखर जायेंगें आप ही से
मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया
वरना  कुछ चेहरे उतर जायेंगें आप ही से
वो मेरी बात नही समझती,

ना मिलता गम तो ये अफसाने कहाँ जाते
दुनिया ना होती तो चमन के वीराने कहाँ जाते
चलो अच्छा हुआ  कोई अपना ग़ैर निकला
अगर सभी अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते
वो मेरी बात नही समझती,
मेरे जज़्बात नही समझती, .... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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