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आज वो मुझसे



आज वो  मुझसे

आज वो  मुझ से मेरे जन्नत में टकरा गयी
देखो मेरे पहाड़ों में वो हवा आज कहाँ से आ गयी
तुम्हारे दिल से निकली वो आवाज़
मेरे पहाड़ों से टकरा कर वो मेरे पास आ गयी

तेरे पास तो बस वो प्यार है तेरा
मेरे पास तो बस वो इन्तजार है मेरा
कम बोलो और सब कुछ बता दो
ऐसा पहाड़ी प्रेम है मेरा

चेहरे पे हंसी और हम अपने ग़म को भुला  दें
आ जाओ पास साथ मेरे तुम तुम्हें जीना सीखा दें
यही राज है ज़िंदगी का जी लेंगे संग संग
पहाड़ों में आकर चलो अपनी तकलीफ भुला दें

याद रखने के लिए मुझे यंहा से कोई चीज ले लें
अपनी तस्वीर मुझे देकर मेरी जिंदगी ले लें
मैं तो खड़ा हूँ खड़ा अपने पहाड़ों के साथ साथ
मोड़कर जब तुम देख लोगी तो मेरी बंदगी ले लें

आज वो  मुझ से मेरे जन्नत में टकरा गयी .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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