राधा बिना है कृष्ण अधूरा
राधा बिना है कृष्ण अधूरा
ये जग क्यों कहे उन को पूरा
मन की निर्मल है ये बस भावना
मुहब्बत कि बहे बस वो कल कल धारा
राधा बिना है कृष्ण अधूरा ......
राधा की है ये ऐसी चाहत
बस उसे हर और देखे कृष्ण की मूरत
राधा को देखे बस कृष्ण ही कृष्ण
कृष्ण को दिखे बस राधा ही राधा
राधा बिना है कृष्ण अधूरा ......
प्रेम की है वो ऐसी परिभाष
कृष्ण है राधा और राधा है कृष्ण
सब कुछ है वंहा आधा ही आधा
प्रेम है आधा त्याग है आधा
राधा बिना है कृष्ण अधूरा ......
जग हो जाये सब के लिए आधा
आधा आपका और आधा हमारा
बन जाये हम भी अब राधा कृष्ण
तुम बन जाओ राधा और हम कृष्ण
राधा बिना है कृष्ण अधूरा ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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