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क्यों ? मैं,मैं ना रहा


क्यों ? मैं,मैं ना रहा

उन आँखों में क्या था
जो मैं,मैं ना रहा

अदा थी या वो आहट
जो मैं,मैं ना रहा

आईना है या वो आग
जो मैं,मैं ना रहा

इल्म है या वो इश्क
जो मैं,मैं ना रहा

इल्तिजा है या वो इजाज़त
जो मैं,मैं ना रहा

किताब है या वो किस्मत
जो मैं,मैं ना रहा

ख़्वाब है या वो हकीकत
जो मैं,मैं ना रहा

चाँद है या वो चांदनी
जो मैं,मैं ना रहा

जवानी है या वो जिंदगी
जो मैं,मैं ना रहा

बेकसी है या वो बेख़ुदी
जो मैं,मैं ना रहा

मंजिल है या वो मजहब
जो मैं,मैं ना रहा

मय-कदा है या वो मय-कशी
जो मैं,मैं ना रहा

महबूब है या वो मुलाक़ात
जो मैं,मैं ना रहा

राज है या वो रास्ता
जो मैं,मैं ना रहा

वजूद है या वो वहम
जो मैं,मैं ना रहा

तुम ही कह दो अब सनम
क्यों ? मैं,मैं ना रहा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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