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वो भूली बिसरी वो रातें


वो भूली बिसरी वो रातें

वो चाँद और सितारों की बातें
वो भूली बिसरी वो रातें
जब तक साथ तुम्हार था
इन हाथों में जब तक हाथ तुम्हार था
वो चाँद और सितारों की बातें ....

शाखों से टूटे वो पत्ते
गुपचुप अकेले में जुड़ते वो रिश्ते
कही घण्टे गुजर जाते उन अंधेरों में
रुपहली चांदनी के उस घेरे में
वो चाँद और सितारों की बातें ....

सांसों की सांसों से हुयी  वो मुलाकातें
धड़कन ने सुनी थी वो सब  बातें
ये दिल जहाँ हम से बेगाना हुआ था
तुम्हारे  दिल में तब हमारा ठिकाना हुआ था
वो चाँद और सितारों की बातें ....

अब ये हकीकत है ना रही वो दुनिया
चाँद सितारों की खो गयी अब वो  नगरी कहां
किसको फुर्सत है उन्हें अब वैसे निहारने की
उस सच्चे प्रेम से अब अकेले बतिया ने की
वो चाँद और सितारों की बातें ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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